Monday, October 25, 2010

International Conference on Multidisciplinary Approaches to Diabetes Research & Health

Dear Colleagues and Friends,


It is our enormous pleasure to invite you to join us for the International Conference on Multidisciplinary Approaches to Diabetes Research & Health (ICMADRH-2010), which will be held in University of Rajasthan, Jaipur, India, during November 14-16, 2010.


As you know, Diabetes mellitus is a metabolic disease, which has acquired a significant medical and socio-economic impact, mainly due to its complications. With recent rapid incidence of diabetes, it is predicted that 300 million individuals worldwide will have diabetes by 2025, with a major impact on the population of developing countries like India.


This Conference offers scientists dealing with diabetes the opportunity and challenge to exchange their experiences, new ideas and proposals in regard to the prevention and treatment of diabetes which–kills people every day.
Our aim is:
  • To brings Diabetologists (Clinicians from Allopath, Ayurveda, Homeopathy, Unani-medicines, Naturopathy, etc.), Endocrinologists, Dieticians, Pharmacologists, Scientists and Technologists under one Umbrella. 
  • To examine ways for improvement, exchange the latest information and expertise including significant enhancements in the field of diabetes mellitus pertaining to its etiology and management. 
  • Furthermore to generate understanding and unity around the World against the dreaded disease through this Conference. 
  • The ICMADRH meeting will be held in Jaipur, the city of victory, capital of Rajasthan, famous as "Pink City" the world over is placed in Western part of India and it is known for its cultural heritage and palaces. The city is specialized for precious and semi precious stones, ornaments and jewellery craft works, tie and die and block printing textiles, traditional leather foot wear, carpets, antiques and pseudo antiques and the famous Jaipur quilts, weighing only a few hundred grams. Jaipur in the month of November is generally pleasant during the day but nights are cold. The temperature varies between 10-25°C. You will experience notable and unforgettable days in Jaipur.
There will be a World Diabetes Day celebration event on November 14, where in, we will be having Health Check-up Camp and Public Awareness exhibition.


The conference language is English


We very much look forward to seeing you for an exciting scientific event in the beautiful city of Jaipur.


Thanks and Regards


Sincerely,

ATUL GUPTA


नर्सरी प्रबंधन प्रशिक्षण कार्यक्रम का दसवां दिन

किसान गंवारापाठे   के खेत का भ्रमण करते हुए 

किसान गंवारापाठे   की खेती  की आवश्यक जानकारी लेते हुए  

ग्वान्र्पठे की पत्तियां 

गंवारपाठे   की  पत्तियां  बाजार में भेजने के लिए तैयार   

बिक्री हेतु स्वस्थ पत्तियां 

ग्रीन हौस एकी जानकारी लेते हुए 

ग्रीन हॉउस में ड्रिप सिस्टम की जानकारी लेते हुए 

ग्रीन हाउसा में उपस्थित  किसान 

Wednesday, October 20, 2010

नर्सरी प्रबंधन प्रशिक्षण कार्यक्रम का सातवाँ दिन

आज गांव टूटोली में नर्सरी प्रबंधन के प्रशिक्षण के सातवें दिन किसानो को नर्सरी की सरंचना के बारे में विस्तार से बताया गया | शेड नेट हॉउस में कोन कोन सी वातावरण की परिस्थितियों को नियंत्रित कर सकते है | ग्रीन हॉउस मैं कोन कोन सी परिस्थितियों को नियंत्रित कर सकते है | विभिन्न प्रकार की पौध तैयार करने मैं इन विशेष सरंचनाओं का क्या उपयोग है ? बीमारी व खरपतवार नियंत्रण में  इन सरंचनाओं का क्या उपयोग है | नर्सरी की सरंचना में सीड बेड की क्या उपयोगिता है | इसकी उपयुक्त जगह कहाँ है | इसे बनाने में क्या क्या सवधानी बरतनी चाहिए | नर्सरी मैं पौधों को बड़ा करने के लिए नर्सरी बेड कहाँ बनानी चाहिए व इसकी क्या उपयोगिता है | इसे बनाने में क्या क्या सावधानी बरतनी चाहिए | मुख्य सरंचना के अलावा कुछ अन्य सरंचन भी होती है | जैसे नमीं बेड , नमीं कक्ष, लाईट बॉक्स , बढवार कक्ष आदि इनकी उपयोगिता किन किन विशेष परिस्थितियों में होती है |..........

Tuesday, October 19, 2010

नर्सरी प्रबंधन प्रशिक्षण कार्यक्रम का छठा दिन

आज गांव टूटोली में नर्सरी प्रबंधन के प्रशिक्षण के छ्ठे दिन किसानो को खरपतवार प्रबंध के बारे में विस्टा से बाते गया, खरपतवार के प्रसार को कैसे रोका जाये| वातावरण की विभिन्न प्रतिकूल परिस्थितियों का सामान कैसे करें |  जैसे अत्यधिक तापमान, कम नमीं, कम प्रकाश का पौधों पर क्या क्या प्रभाव होता है | इन परिस्थितियों से पौधों को कैसे बचाएं|  


नर्सरी की अंदर उपलब्ध सुविधों के बारे मैं विस्तार से बताया गया | मॉडल नर्सरी के ले-आउट के बारे मैं चर्चा की गयी |  माडल नर्सरी के मुख्य हिस्से जैसे तारबंदी, पक्का रास्ता / सड़क,  मातृ पौधा स्थान, स्टोर /ऑफिस , सिंचाई की सुविधा, सीड बेड ब्लाक, नर्सरी बेड ब्लाक, थेली भरने का मसाला /ब्लाक, विशेष निर्माण जैसे छाया घर व ग्रीन हाउस| इनकी एक मॉडल नर्सरी में क्या क्या उपयोगिता है |  किसानो को नर्सरी प्रबधन के अलग अलग पहलुओं के बारे में बताया गया ,  जैसे ज्ञान व सूचना, प्रशिक्षण, कार्य प्रबंध, ऋण सुविधा , पौधों का पुनः रोपण , विपणन व्यवस्था आदि |

नर्सरी प्रबंधन प्रशिक्षण कार्याक्रम का पांचवा दिन

आज नर्सरी प्रबंधन  प्रशिक्षण के पांचवें दिन किसानो को सूक्ष्म तत्वों के बारे में विस्तार से बताया गया | किसान सूक्ष्म तत्वों का प्रबंधन कसे करें | किसानो को बाते गया की सूक्ष्म तत्वों व बीमारी मैं विभेद कैसे करें | सूक्ष्म तत्वों की कमी से क्या क्या लक्षण पैदा हो जाते है |उन तत्वों की कमी कैसे दूर करें | उनके लिए किस किस तरह का छिडकावा करना चाहिए | सूक्ष्म तत्वों की कमी में जैविक खाद की क्या उपयोगिता है | पोधो की किस किस अवस्था पर इन तत्वों का के क्या प्रभाव होता है | पुरानी व नीचें की पतीयों पर नाइट्रोजन ,फास्फोरस , मेग्नेसियम , पोटेशियम, जिंक की कमी का प्रभाव ज्यादा होता है  तथा केल्शियम , बोरों , कोपर, मेगनीज , सल्फर , लोहे का प्रभाव नयी पत्तियों पर होता है | दूसरे सत्र में  खरपतवार प्रबंधन के बारे मै विस्तार से बताया गया |  

नर्सरी प्रबंधन प्रशिक्षण कार्याक्रम का चौथा दिन

 
आज नर्सरी प्रबंधन  प्रशिक्षण के चोथे दिन किसानो को किट व बीमारी के प्रबंधन के बारे मैं विस्तार से बताया गया | किसानो सलाह दी गयी की वो अपेनी नर्सरी में रासायनो का इस्तेमाल न करे | क्योंकि लंबे समय तक रसायनों के प्रयोग से जमीन  की दसा खराब हो जाती है | किसानो को चाहिए की वो कीड़े बीमारी के लिए जमीन  तैयार करते है उसी समय से सावधानी से काम ले | जैविक खाद को अच्छी तरह सडा कर कम में ले | ताकि उनसे बीमारी के कारक खत्म हो जाये | किसानो को बताया गया की कैसे बीज काम में लेने चाहिए | बीमारी के लिए क्या क्या उपचार करना चाहिए?   

Friday, October 15, 2010

नर्सरी प्रबंधन प्रशिक्षण कार्यक्रम का तीसरा दिन

आज गाँव टूटोली में  नर्सरी प्रबंधन प्रशिक्षण  कार्यक्रम के  तीसरे दिन का प्रशिक्षण  संपन हुआ | आज प्रशिक्षनार्थियों  को  भूमि उपचार के बारे में विस्तार से बताया |  भूमि से कोंन कोन सी समस्या उत्पन्न होती है  भूमि में उपस्थित रोगानुओ का उपचार  कैसे  कैसे करें | भूमि में उपस्थित खरपतवार के बीजों का उपचार कैसे करें | उन्हें ख़त्म  करने के लिए क्या करे.| अगले सत्र में  बैड  बनाने  की विधियों के बारे में विस्तार से बताया |  बैड की साइज़ क्या होनी  चाहिए |  भूमिं  में पौषक तत्वों का प्रबंधन कैसे करें | भूमि में  pH   लेवल क्या होना चाहिए व उसे कैसे बराबर अच्छा  कैसे बनायें  रखें | नर्सरी के लिए ज्यादा कार्बनिक तत्त्व वाली ही जमीन अच्छी क्यों होती है | किसानो  को  अस्वगंधा  नामक औषधीय फसल के बारे में भी बताया गया |  

Thursday, October 14, 2010

The Second Day of the Training

The Nursary management training started at 2 pm in Temple in Tutoli Village( Chakasu) Jaipur. Today the Trainer Ganesh Prajapat told the participant about the requirement and need of nursery. The participant came on the time with full preparation. Trainer told about the requirement of the Rural Entrepreneurship Development Programe sponsored by the Nabard. he also told about the facilities available in nursery, the precaution to establish the nursery. In the next season they were told about the plant propagation.The participant were trained about the method of propagation.....

Wednesday, October 13, 2010

नाबार्ड की और से 30 युवाओं को नर्सरी प्रबंधन का कौशल सिखाने हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रारंभ

आज दिनांक 13 अक्टूबर 2010 (बुधवार) को राष्ट्रीय कृषि एवं  ग्रामीण विकास बैंक ( नाबार्ड ) के सहयोग से हेनिमैन चेरिटेबल मिशन सोसायटी के द्वारा ग्राम टूटोली (चाकसू ) में पौध प्रबंधन (नर्सरी मैंनेजमेंट) पर 4 सप्ताह के प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि राष्ट्रीय कृषि एवं  ग्रामीण विकास बैंक ( नाबार्ड ) के प्रबंधक श्रीमान जोगिन्द्र सिंह जी  ने किया |  कार्यक्रम के मुख्य अतिथि  राष्ट्रीय कृषि एवं  ग्रामीण विकास बैंक ( नाबार्ड ) के प्रबंधक श्रीमान जोगिन्द्र सिंह जी  ने   इस प्रशिक्षण के लाभ व आवश्यकता के बारे  में बताया  तथा नाबार्ड की कृषि विकास हेतु विभिन्न योजनाओं  के बारे मैं विस्तार से बताया |उन्होंने किसानो को इसका अधिक से अधिक लाभ उठाने पर जोर दिया | संस्था के निदेशक श्री अतुल गुप्ता ने बताया कि इस कार्यक्रम का मुख्य उधेश्य ग्रामीण युवाओं को पौध प्रबंधन के क्षेत्र  में स्वरोजगार के अवसर प्रदान करना है उन्होंने आर्थिक स्वावलंबन व स्वरोजगार के लिए युवाओं को आगे आकर इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को पूर्णतया सफल बनाने पर जोर दिया | उन्होंने उधान विभाग द्वारा दिए जाने अनुदान के बारे मैं भी किसानो को बताया |इस कार्यक्रम में किसानो को  सैधांतिक प्रशिक्षण के उपरांत खेतों में  प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया जायेगा |स्थानीय बैंको के प्रबंधकों द्वारा उनके बेंक  द्वारा दी जाने वाली ऋण सुविधा के तरीको के बारे मैं विस्तार से बताया |बड़ी संख्या में किसानो ने इस कार्यक्रम मैं उत्साहपूर्वक भाग लिया |